रांची
झारखंड सहायक आचार्यों की नियुक्ति के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा विज्ञापित 5008 पदों के विरुद्ध केवल 2754 अभ्यर्थी ही Normalization के बाद उत्तीर्ण घोषित किए गए, जबकि Raw Score के अनुसार लगभग 6000 अभ्यर्थी पास थे। इसका अर्थ है कि लगभग 50% सीटें खाली रह गईं, जो कि एक गंभीर प्रशासनिक और संवैधानिक प्रश्न है। रिजल्ट से प्रभावित छात्रों ने इसका विरोध किया है। छात्रों ने आयोग इन बिंदुओं पर आयोग का ध्यान आकर्षित किया है-
महत्वपूर्ण तथ्य
1. Niyamavali (Statutory Rules):
"झारखंड सहायक आचार्य (नियुक्ति, प्रोन्नति एवं सेवा शर्त) नियमावली, 2022" एक वैधानिक आदेश (Statutory Order) है जिसे राज्यपाल द्वारा अधिसूचित किया गया है।
नियमावली में केवल Raw Score के आधार पर उत्तीर्णता एवं मेधा सूची की बात की गई है। Normalization का कोई उल्लेख नहीं है।
Advertisment (Administrative Instruction):
JSSC द्वारा जारी विज्ञापन में Normalization का उल्लेख किया गया है, जो केवल एक प्रशासनिक निर्देश (Executive Instruction) है और कानूनन नियमावली पर अधीनस्थ है।
सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ
यदि कोई विज्ञापन नियमावली के विरुद्ध जाता है, तो नियमावली (Statutory Rules) ही मान्य होती है। (Ref: Supreme Court: Mohinder Singh Gill v. Chief Election Commissioner, AIR 1978 SC 851)
Normalization क्या है?
अभ्यर्थियों से मिली जानकारी के अनुसार Normalization एक सांख्यिकीय प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य विभिन्न shifts या days में परीक्षा के कठिनाई स्तर में असमानता को संतुलित करना है। यह तभी लागू होती है जब परीक्षा एकाधिक शिफ्टों में होती है। प्रश्नों का कठिनाई स्तर प्रमाणित रूप से भिन्न होता है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी होते हैं और Over Subscription होता है। मिली जानकारी के अनुसार इसके खिलाफ छात्र हाईकोर्ट में याचिक दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।